शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008

ये कैसा खुदा मिला है

ये कैसा खुदा मिला है जो हर पल बदलता है
रातो को ख्वाब हमे देकर दिन भर उनके साथ चलता है

मैं हर रात उफक पे जाकर सूरज को ढूंढता हूँ
न जाने कहाँ से आए, किस जगह पे ये ढलता है

वो अपनी कसम देकर अपनी मोहब्बत उठा लाये
क्या प्यार मोहब्बत में भी ऐसा सौदा चलता है

वो मेरे घर आकर, पूछे मेरा पता मुझसे
क्या ऐसे दिवानो से कोई ख्वाब अपने बदलता है

वो दरियाँ में जाकर ढूंढते है उसके खतो को
क्या पानी में मिला आंसू, ढूंढे से भी मिलता है

-तरुण

4 टिप्‍पणियां:

  1. तरुन भाई आप लिखते बहुत ही सुन्दर हे.
    वो दरियाँ में जाकर ढूंढे उसके खतो को
    क्या पानी में मिला आंसू, ढूंढे से भी मिलता है
    वाह वाह..

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  2. वो अपनी कसम देकर अपनी मोहब्बत उठा लाये
    क्या प्यार मोहब्बत में भी ऐसा सौदा चलता है

    bahut hi pasand aayi pankthiya aapki.. bahut sundar

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  3. वो दरियाँ में जाकर ढूंढते है उसके खतो को
    क्या पानी में मिला आंसू, ढूंढे से भी मिलता है|

    simply beautiful .... ur words r so perfect!!

    gr8 work!!

    best wishes!!

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  4. ये कैसा खुदा मिला है जो हर पल बदलता है
    रातो को ख्वाब हमे देकर दिन भर उनके साथ चलता है


    Beautiful!

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