रविवार, 20 फ़रवरी 2011

तेरा नाम

बस तेरा नाम मेरा नसीब है 
तू ना जाने किसके करीब है  

मेरा दिल ही मेरा खुदा  रहा 
मेरा खुदा ये कितना अजीब है 

मुझे मौत से कोई गिला नहीं 
मेरी ज़िन्दगी मेरी रकीब है 

मेरी जान बुझती रही मगर 
तेरी याद दिल के करीब है 

कोई मुझे भी ढूंढता है कहीं 
कोई मेरा भी तो हबीब है 

-तरुण 


गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

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मैं आजकल कुछ ऐसे 
अपने सायों में छुपा रहता हूँ 
न किसी को दिखाई देता हूँ 
और न ही आवाज़ों में सुनायी देता हूँ 
कल तक जो उसकी यादें मुझे छोडती न थी 
वो अब गलियों में मेरा पता पूछती है 
और जो कभी मेरी आँखों में बसी रहती थी 
वो मुझे कभी facebook पे 
और कभी घंटो google पे मुझे ढूंढती है

सच में ज़माना बहुत बदल गया है ...

-तरुण 




बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

मैं छुप जाता हूँ

मैं तेरे बिना तनहाइयों में जब घबराता हूँ
अपने सायें के सायें में, मैं छुप जाता हूँ

तेरे आने कि उम्मीदे कब मुझे थी मगर 
हर सुबह यूँ ही दरवाज़े पे मैं चला जाता हूँ 

जाने क्या पूछती है उसकी निगाहे मुझसे 
जो चुप रहकर भी मैं सब उससे कह जाता हूँ 

कब मिली है इस ज़माने की आदतें मुझसे 
क्यूँ मैं फिर भी इससे मिलता जाता हूँ 

जो मेरे मुक़द्दर में है मिलेगा मुझको 
क्यूँ मैं रातो का जाग कर यूँ घबराता हूँ 

-तरुण