सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

हम बहुत रोये

तुझसे दिल लगाके हम बहुत रोये 
एक पल मुस्कुराके हम बहुत रोये 

तेरे सामने तो कुछ कह न सके 
अपने घर जाके हम बहुत रोये 

बरसो से चुप रहे तो सब ठीक था 
अपना हाल सुनाके हम बहुत रोये 

कमी तू मुझमे भी बहुत थी लेकिन 
तुझको खुदा बनाके हम बहुत रोये 

तुझे जाना है जानता था मैं इसीलिए 
तुझे नज़र बचाके हम बहुत रोये 

-तरुण