रविवार, 31 जनवरी 2010

रिश्ता

मैं जिससे भी मिलता हूँ
उसके जैसा हो जाता हूँ
उसके ख्यालो को सोचता हूँ 
उसकी आहटो पे चलता हूँ 
उसकी आवाजो मैं बोलता हूँ 
कोई फिर भी  क्यूँ 
मेरी तरह नहीं सोचता है ...

मैं उसके गीतों को सुनता हूँ
उसकी साँसों को जीता हूँ 
उसके नगमे गाता हूँ 
उसके सपनो को लेता हूँ
कोई फिर भी क्यूँ
मेरी तरह नहीं सोचता है...

-तरुण 


शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

अमन की आशा

Written in context of India and pakistan, for someone who was born in pakistan but migrated to india in 47, today he remember the days spent in pakistan, his original home

वही तो घर मेरा था
वही पे पहली दफा मैं
माँ का हाथ पकड़कर कुछ कदम चला था
वही पे पहली दफा मैंने
स्कूल में जाकर कुछ तो लिखा था
वही तो घर मेरा था
वही पे मैंने सब ख्वाब देखे थे
वही पे हर एक रिश्ता बुना था
वही तो घर मेरा था
आज वो सब बिछड़ गया है
बदल गयी सरहदों की लकीरे
आज भी मगर कुछ तो जुडा है
वही तो जो कल मेरा था आज भी वो मेरा है


-तरुण