मंगलवार, 31 जनवरी 2012

ज़िन्दगी

कुछ ऐसी ज़िन्दगी मिली है 
कि मौत से अब डर ही नहीं लगता 
दोनों तो एक सी है 
एक एक बार मारती है 
और दूसरी 
हर दिन बार बार मारती है 

ये कैसी रात मिली है 
कि कोई चाँद ही नहीं निकलता 
बस अँधेरा छाया रहता है 
और सुना है उस अँधेरे में 
कुछ लोग भी जीते है ....

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

याद आते है

मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है 
ज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है 

यूँ तो अकेला ही तो जिया था मैं 
फिर भी साथी पुराने याद आते है 

आज ही में जी लेते लेकिन
मूझे कल के फ़साने याद आते है 

दर्द उस वक़्त भी साहा था लेकिन 
उम्मीदों के तराने याद आते है 

मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
मूझे चेहरे अनजाने याद आते है 

-तरुण 

मुहब्बत नहीं मिलती

ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती
मूझे जीने कि सूरत नहीं मिलती 

कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता 
मूझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती 

तू ज़माने कि भीड़ में चल न कभी
ऐसे जीने से इज्ज़त नहीं मिलती 

बचपन में जवानी कि दुआ न करना 
फिर ऐसे जीने कि फुर्सत नहीं मिलती 

जब तू ही कभी किसी का न हुआ 
क्यूँ अकेले जीने की हिम्मत नहीं मिलती 

तरुण