Written in context of India and pakistan, for someone who was born in pakistan but migrated to india in 47, today he remember the days spent in pakistan, his original home
वही तो घर मेरा था
वही पे पहली दफा मैं
माँ का हाथ पकड़कर कुछ कदम चला था
वही पे पहली दफा मैंने
स्कूल में जाकर कुछ तो लिखा था
वही तो घर मेरा था
वही पे मैंने सब ख्वाब देखे थे
वही पे हर एक रिश्ता बुना था
वही तो घर मेरा था
आज वो सब बिछड़ गया है
बदल गयी सरहदों की लकीरे
आज भी मगर कुछ तो जुडा है
वही तो जो कल मेरा था आज भी वो मेरा है
-तरुण
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