सोमवार, 4 फ़रवरी 2008

कलाकार


एक कलाकार मैं भी हूँ
कभी कभी
लफ्जों को जोड़कर
कुछ मिसरे बनाकर
मैं एक नज्म कह देता हूँ
लेकिन अक्सर
ये होता है
मैं लफ्ज़ जोड़ता हूँ
लेकिन वो बिखरते जाते है
और बार बार
उन्हें जोड़ते जोड़ते
मैं ऐसे खो जाता हूँ
ऐसे मिल जाता हूँ उनसे
जैसे किसी ने मूझे
जोड़कर उन लफ्जों से
एक नज्म कह दी हो ।

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