रविवार, 10 फ़रवरी 2008

तेरी तस्वीर


आज ये आसमानी
कैनवस पे
उसने कैसी तस्वीर बनाई है
एक तरफ बिखरे है
बादल ऐसे
जैसे तुने जुल्फें बिखराई है
खिलखिलाता है चाँद भी ऐसे
जैसे तू मुस्कुराई है
और दूर उफक पे
शाम का सूरज
ऐसे टिका है
जैसे तुने एक बिंदिया लगाई है
लगता है आज खुदा को
भी तेरी याद आयी है
और खोये हुए उस याद में
उसने तेरी एक तस्वीर बनाई है

-तरुण

1 टिप्पणी:

  1. दिल की सारी भावनाएँ काग़ज़ पर उतार दीं, ग़ज़ब का हुस्न होगा उनका...

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