गुरुवार, 7 फ़रवरी 2008

एक गीत




एक अकेला पंछी ढूँढ रहा है घर का रास्ता

लौट गए है पंछी सारे
लौट गए है सब उसके साथी
कोई भी अब साथ नही है
रास्ता उसको याद नही है

पगला पगला घूम रहा है कोई नही उसे अपना लगता

लौट रही है शाम की लाली
लौट रहा है दिन का उजाला
हर तरफ वीराना है
रात से पहले घर जाना है

माँ की आँखे देख रही है कहाँ खोया है उसका चन्दा

-तरुण

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