बुधवार, 2 जनवरी 2008

एक नया रिश्ता


टूटे फूटे से कुछ रिश्ते लेकर मैं भी आया तुम भी आये
मैंने भी कुछ ज़ख्म टटोले तुमने भी कुछ घाव दिखाए

मैंने भी कुछ बीती यादो को फिर से लफ्जों में लपेटा
तुमने भी कुछ भूले किस्सों पे टप टप टप आंसू छलकाए

मैंने भी टूटे सपनों को एक एक करके फिर से जोडा
तुमने भी बिखरी ख्वायिशो के तागो में कुछ गाँठ लगाए

मैंने भी जलते होठो पे तेरी चाह कि बर्फ को रखा
तुमने भी बुझती साँसों पे मेरे प्यार के दीप जलाए

-तरुन

(written on Jan 2, 2008 at foster city)

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