मंगलवार, 15 जनवरी 2008

छोटू


मैं भी जब इस दुनिया में आया था
मुझे देखकर मेरी माँ भी मुस्कुराई थी
उसकी आंखो में भी मेरे लिए कुछ सपने जागे थे
उसके दिल ने भी शायद
मूझे कुछ दुआएं दी थी
आज माँ का तो चेहरा याद नही
लेकिन उसने
मूझे महलो की दुआएं दी होगी
सोचा होगा मेरे घर की भी एक छत हो
मेरे घर में भी हर बात का सुख हो
वो दुआएं सुन ली है भगवान् ने शायद
इसीलिए
मैं एक बडे से महल में रहता हूँ
सब मुझे छोटू कहते है
शायद प्यार से भी कभी ।
दिन भर मैं काम करता हूँ
लेकिन जब रात को सोता हूँ
तो मुझे माँ बहुत याद आती है
सुना है वो लौरी सुनाती है
और जब नींद न आये तो अपनी गोदी में छुपा लेती है
हर रात मेरी बिना ख्वाबो के चली जाती है
और हर सुबह
मैं भगवान् से एक ही दुआ माँगता हूँ
मुझे भी अगली रात के लिए कुछ ख्वाब दे दो
मैं भी कुछ सपने जीना चाहता हूँ
-tarun

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