गुरुवार, 31 जुलाई 2008

तुम भी वही हम भी वही

तुम भी वही
हम भी वही
बदली है तो ये जिंदगी

न चाह मेरी बुझी हुई
न ख्वाब तेरे सोये हुए
मेरा प्यार भी वही तो है
तेरी हसरते भी थमी नही
तुम भी वही
हम भी वही

न रास्ते कही मुडे हुए
न मंजिले बदली हुई
तेरे कदम भी वही तो है
मेरा साथ भी तो है वही
तुम भी वही
हम भी वही

दुनिया का चेहरा न बदला है
न फासले है सिमटे हुए
हमारी रात भी वही तो है
हमारा चाँद भी तो है वही
तुम भी वही
हम भी वही

तेरे हाथो में वही एहसास है
है तेरी बातो में वही कशिश
न आँखे मेरी कुछ और कहे
न मुस्कान मेरी है थमी
तुम भी वही
हम भी वही

-तरुण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें