मंगलवार, 12 अगस्त 2008

वो एक पल

वो एक पल बहुत लंबा था
वो एक पल जब मैं
छोड़कर आया था तुझको
वो एक पल जब मैंने
हाथ उठाकर अलविदा कहा था तुझको
वो एक पल जाने कैसे जिया था मैंने
वो एक पल जाने कितनी बार मरा था मैं

वो एक पल फिर भी
न जाने क्यूँ
बहुत याद आता है
याद आती है तेरी वो आँखे
जो कहती थी फिर आकर मिलना मुझसे
याद आती है तेरी वो मुस्कान
जो होठो पे बेमानी सी लगती थी उस पल
याद आती है तेरी वो बातें
कि जाओगे नही तो कैसे आओगे मुझे लेने
वो एक पल अब तक
बहुत तरसाता है
वो एक पल बहुत लंबा था
वो एक पल अब तक जी रहा हूँ मैं

-तरुण

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब। प्यारी सी रचना। पता नही आप काफी दिनों में आये हो या मैं ढूढ नही पाया ।

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