कभी मेरी सुनो कभी अपनी कहो
कुछ बात मगर तुम करती रहो
मिलता रहूँ मैं तुमसे ख्वाबो में
ऐसे मेरी आंखो में तुम सिमटी रहो
होठो पे रहे एक खामोशी
आँखों से तुम सब कहती रहो
मैं बैठकर तुमको देखता रहूँ
तुम धड़कन मेरे दिल की सुनती रहो
आए न कोई फासला कभी दरम्याँ
ये वादा तुम मुझसे करती रहो
कभी मेरी सुनो कभी अपनी कहो ...
-tarun
 
 
कभी मेरी सुनो कभी अपनी कहो
जवाब देंहटाएंकुछ बात मगर तुम करती रहो
Hmmm....Ati sunder!