सोमवार, 3 मार्च 2008

बस कमी तुम्हारी है

रात है ख्वाब है नींद की खुमारी है
तुम भी चले आओ, बस कमी तुम्हारी है

नज्म लिए हाथ में, तुझे करूँ याद मैं
लफ्ज़ अधूरे है, कहानी जैसे हमारी है

तू भी कहीं दूर है, दिल भी मजबूर है
धड़कने खामोश है, साँसे कुछ भारी है

हाथ में जाम है लब पे तेरा नाम है
होश नही होश में , क्या हसीं बीमारी है

चाँद भी है यहाँ , रात भी है जवाँ
बहकते हुए हम है दिल में बेकरारी है

-तरुण

3 टिप्‍पणियां:

  1. तू भी कहीं दूर है, दिल भी मजबूर है
    धड़कने खामोश है, साँसे कुछ भारी है

    Bahut khoob!

    जवाब देंहटाएं
  2. हाथ में जाम है लब पे तेरा नाम है
    होश नही होश में , क्या हसीं बीमारी है just awesome

    जवाब देंहटाएं
  3. होश नही होश में , क्या हसीं बीमारी है..
    और इसी बीमारी की सबको जवाबदारी है..

    :-)

    जवाब देंहटाएं