सोमवार, 27 अक्तूबर 2008

आओ न हम दिवाली मनाये

चलो न इस दिवाली पे
चाँद को फलक से
उतारकर अपने दरवाज़े पे लगाए
छत पे टिम टिम चमकते
तारो के लाखो चिराग जलाए
शाम के जलते लाल सूरज से
अपने घर के
हर कमरे को जगमगाए
उस दूर चमकते इन्द्रधनुष से
अपने आँगन में एक रंगोली बनाये
और सुबह की धीमी धीमी किरणों से
घर का कोना कोना चमकाए
आओ इस दिवाली पे
काएनात के रंगों से
हम
अपने घर को सजाये
चलो न हम दिवाली मनाये
उन गरज़ते बादलो से
थोडी थोडी गरज को लेकर
बिजली से उसकी
चुटकी चुटकी चमक को लेकर
आओ सब मिलकर पटाखे बजाये
चलो न हम दिवाली मनाये
चल न हम दिवाली मनाये
-तरुण

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