बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

तेरा एहसास

एक चाँद अधूरा
एक रात अकेली
एक मैं बैठा अपने घर में

एक सुबह का सूरज
एक शाम का साया
एक मेरे घर में तेरी फोटो

एक नुक्कड़ पे पान की दूकान
एक तेरे घर की बड़ी सी खिड़की
एक हर शाम का नया बहाना

एक रेडियो के रोमांटिक से नगमे
एक एग्जाम्स की जागती हुई राते
एक किताबो में तेरा नाम छुपाना

एक सर्दी में ठिठुरती साँसे
एक बारिश में भीगता आँचल
एक तुमने जो मुझे पुकारा

एक टप टप टपकती बारिश की बूंदे
एक दीवार पे लटकी घड़ी की टिक टिक
एक हर साँस पे मैं तुझको बुलाऊँ


-तरुण


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