गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009

वो लड़की बहुत याद आती है

हर शाम कुछ ऐसे मुस्कुराती है
कि वो लड़की बहुत याद आती है

चाँद छूपता है जब बादलो में कभी
उसकी शरारते आँखों में छलक आती है

मेरे दरवाज़े पे दस्तक देता है कोई
पर आवाजे अपना रास्ता भूल जाती है

तेरे वादों पे जिऊं कब तक ऐसे
हर साँस ये कहकर लौट जाती है

कुछ ऐसा है तुमसे ये रिश्ता मेरा
मुस्कुराहटें भी आँखे नम कर जाती है

-तरुण

1 टिप्पणी:

  1. वाह तरुण भाई क्या बात है। वो कौन?
    हर शाम कुछ ऐसे मुस्कुराती है
    कि वो लड़की बहुत याद आती है

    सच्ची। सच दिल खुश हो गया पढकर।

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