मंगलवार, 3 जून 2008

लिखूं

तेरे मेरे
इस रिश्ते का
कोई अब अंजाम लिखूं
हर साँस पे
उठते सवालो का
कोई तो जवाब लिखूं
जुदाई के
हर लम्हे का
चलो अब मैं हिसाब लिखूं
तेरे लिए
जो सोची थी कभी
वो हर मैं बात लिखूं
बहुत तरसे है
बहुत तड़पे है
दुनिया के हर ज़ुल्म का
अब एक जवाब लिखूं

-तरुण

2 टिप्‍पणियां:

  1. पढ़ लिख के बड़ा होके तुम इक किताब लिखना
    अपने सवालो का तुम ख़ुद ही जवाब लिखना

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  2. हर साँस पे
    उठते सवालो का
    कोई तो जवाब लिखूं


    JAWAB...HER KOI DHUNDH RAHA YAHAN JAWAB...!

    NICE EXPRESSION!

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