शुक्रवार, 27 जून 2008

तेरा ख्याल

ek orkut message ke reply mein likhi gayee ..
(http://www.orkut.com/CommMsgs.aspx?cmm=53370&tid=5207754778237288188&na=4)

तपती जिंदगी की दोपहर से
निकलकर जब भी
तेरी यादों की छाँव में बैठता हूँ
वो तेरा ख्याल आज भी मुझे
उस गुज़रे से वक्त के मखमली
एहसास में ले जाता है
जहाँ तुम मेरे घर में मेरा साया बने हुई थी
मैं कभी हर साँस पे तेरा चेहरा देखता था
और कभी
तेरा चेहरा देखकर साँस लेता था
तू जब मुस्कुराती थी
जब भी तेरे हंसने की आवाज़ से
मेरा घर गूंजता था
तो ऐ जानम
मुझे मेरी जिंदगी मुकम्मल लगती थी
और फिर आज
उस गुज़रे से कल में जाकर
में अपनी जिंदगी महसूस कर लेता हूँ
वरना तेरे जाने के बाद ये जिंदगी जिंदगी तो नही लगती
तेरा ख्याल आज भी
मुझे साँसे देता है
और जब भी उन यादो की आवाज़
मेरे कानो में गूंजती है
कही नही कही मुझे
मेरी जिंदगी कुछ लम्हों को मुकम्मल सी लगती है


-तरुण

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