शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2007

Pathik

ओ पथीक तू चलते चलना
ओ पथीक तू चलते चलना
बादलों की छाँव न मीलें तो
धुप में तू चलते चलना
ओ पथीक तू चलते चलना

चांदनी की रात न मीलें तो
बनकर दीपक तू जलते चलना
ओ पथीक तू चलते चलना

फूलों से भरी राह न मीलें तो
कांटो पे ही तू चलते चलना
ओ पथीक तू चलते चलना ....
ओ पथीक तू चलते चलना ..


-tarun

(written at Agilent Technologies, Gurgraon in march,2007)

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