बुधवार, 10 अगस्त 2011

माँ

मैं अपने घर में तनहा नहीं रहता 
मेरे साथ मेरी माँ की दुआएं होती है 
जब दिन की मुशक्कत से थक कर 
मैं शाम को घर लौटता हूँ 
तो उनके सायों में मुझे सुकून मिलता है 
देर रात तक
मेरे बिस्तर के किनारे बैठके वो 
मुझे सोते हुए देखती है 
सुबह को उठाकर मुझे 
प्यार से वो
नयी उम्मीदों से मुझे वो जोडती है
मेरी माँ मुझसे बहुत दूर है 
लेकिन 
हर आहत पे मेरे करीब होती है 

-tarun


3 टिप्‍पणियां:

  1. Maan hoti hi aisi hai.. hoti hai to bhi hoti hai na hoti hai to bhi hoti hai, yaad bankar, ehsaas banakar.. bahut hi samvednatmak rachna.. aabhar..

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  2. तरुण जी,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

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  3. आपको पूरा पढ़ लेना चाहता हूँ

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