शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

fighter

जिस्म तो फिर भी छोटा था
मगर दिल उसका बहुत बड़ा था
आखिर बचपन से मुश्किलों से तो
लड़ता आया था वो
लेकिन एक दिन वो टूट गया
वो जो fighter कि तरह जीता था
वो हार गया
और अब तो ये हाल है उसका
कि अपने ही सायो के पीछे
छुपा रहता है वो ...
ज़िन्दगी शायद बहुत बड़ी होती है
और ये ज़रूरी तो नहीं कि
fighter हमेशा जीतता है

-तरुण

8 टिप्‍पणियां:

  1. यही जीवन है.... ऐसा भी होता है अक्सर ..... जीत हमेशा नहीं मिलती.... कम शब्दों में अच्छा लिखा .....

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  3. बहुत सुन्दर चित्रण ,जिन्दगी की सच्चाइ भी यही तो है.........

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  4. आपकी पहले पेज की लगभग सभी रचनायें पढ़ीं. विचार बहुत अच्छे लगे लेकिन अस्रीयात ऐ गैर गैरमामूली रूप से रुनुमा होता है. राय देना शायद हिमाकत हो क्यूंकि मैं कोई अदीब या मुसन्निफ़ नहीं लेकिन हीरा अगर गैर की चमक से चमके तो अच्छा नहीं लगता.
    खैर अंदेश
    वरुण गगनेजा

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  5. तरुण जी काफी बेहतरीन कविताओं का संसार आपने सजाया है....

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  6. फाइटर तो हमेशा ही जीतता है ..बस लोग जीत का अर्थ ही कुछ और समझ लेते हैं

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