बुधवार, 7 नवंबर 2007

मेनका


मेनका , वो अप्सरा
विश्वामित्र के पास जो आयी थी
उनकी तपस्या से जब
इन्द्र की सत्ता डगमगाई थी

क्या कहानी है यह सोचकर
मुझे भी लगा कुछ कर दीखाऊँ
एक अप्सरा एक मेनका को
मैं भी कही से बुला लाऊं

ऐसे तो जिधर भी देखों
सब तरफ अप्सराएँ ही नज़र आती है
कोई जींस में कोई skirt में
हर तरफ सब को लुभाती है

मगर वह अप्सराएँ नही है
जो तुम्हे तपस्या से जगायेगी
वह तो माया है जो तुमसे
दीन रात तपस्या करवाएगी

यह सब सोचकर दिल में आया
मुझको भी अपनी मेनका को पाना है
कुछ करके मुझे भी उसे
अपने पास बुलाना है

ध्यान लगाया सोचा कौनसा
different way मैं अपनाऊँ
OSHO, Art of living या
कोई अपना ही तरीका बनाऊं

फिर सब सोचकर मैं घर से निकला
अब कुछ अलग मुझे कर दिखाना है
यह सब तो सब जानते है
कुछ नया EXAMPLE मुझे बनाना है

कपड़े बदले मोबाइल भी छोडा
email chat सब दिल से निकाले
बन गया मैं विश्वामित्र
यह सोचकर मैंने सब त्याग कर डाले

फिर दूर कही एक park में
एक पेड़ के नीचे आसान लगाया
याद करके मेनका को
इंद्र का मैंने ध्यान लगाया

दिन गया रात आयी
सब तरफ अँधेरा छाया
भूत , dracula और
vampires के नाम ने मुझे डराया

सुबह हुई तो याद आया
कल किसका email आया होगा
फ़ोन पे कितनि missed calls होगी
chat पे भी न जाने किसने बुलाया होगा

मगर दिल में मेनका थी
उसको तो मैंने पाना था
उसके लीए कुछ अलग कुछ नया
मुझे कर दीखाना था

दिन बीतते गए और
मेरी तपस्या चलती रही
हर दिन हर रात मेनका को पाने की
मेरी चाह बड़ती गयी

एक रात को अचानक से
एक आवाज़ ने मुझे उठाया
वत्स जागो यह सुनकर
मैं थोडा घबराया

यह मेनका से पहले
क्यूँ आ गए इंद्र भगवान्
मैंने प्रणाम किया, वह बोले
क्या चाहिये तुमको वरदान

मैंने अपनी चाह बताई
तो वह मुझे समझाने लगे
बेटा समय बदल गया है
और सब कहानी मुझे सुनाने लगे

अब स्वर्ग में भी अप्सराएं सब
मोबाइल पे बाते करती है
न जाने कितने देवताओं से
वह एक साथ flirt करती है


अब कोई तपस्या करे तो हम
खुद ही जाकर उन्हें समझाते है
हर दिन न जाने कितने विश्वमित्रों को
बस यह कहानी सुनाते है

अब न कोई मेनका आएगी
न कोई तुम्हे प्यारे मैं उल्झायेगी
बस अब तो तुम्हे हर बार
इस बुडे इंद्र की आवाज़ ही जगायेगी

अचानक मोबाइल की ring से नींद खुली
देखा office से फ़ोन आया है
monday का meeting time है
बॉस ने जल्दी से बुलाया है

ओह्ह बच गए यह सोचकर मैं जल्दी से उठकर bathroom मैं चला गया .....
-tarun

(written at foster city on Nov 7, 2007)

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