शुक्रवार, 16 नवंबर 2007

फासले

कभी तुम न थे
कभी नही थे हम
कभी तुम न आयें
कभी तुम्हे न बुला पाए हम
कभी मिले मीलों के फासलें
कभी न मिल पायें हम
कभी राहें न साथ चलीं
कभी राहों में खो गए हम
कभी तुमने न कुछ कहा
कभी तुम्हे न सुन पाए हम
कभी तुमने न देखा मुझको
कभी तुमसे छुप गए हम
कभी तुमने न रोका मुझको
कभी चले आये हम
बहुत दूर चले आये हम ...........

-tarun
(written at foster city on nov 16, 2007 )

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