गुरुवार, 26 जनवरी 2012

याद आते है

मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है 
ज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है 

यूँ तो अकेला ही तो जिया था मैं 
फिर भी साथी पुराने याद आते है 

आज ही में जी लेते लेकिन
मूझे कल के फ़साने याद आते है 

दर्द उस वक़्त भी साहा था लेकिन 
उम्मीदों के तराने याद आते है 

मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
मूझे चेहरे अनजाने याद आते है 

-तरुण 

11 टिप्‍पणियां:

  1. मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है
    ज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है
    mujhe bhi.....

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  2. मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है
    ज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है... Bahut hi Sundar Rachna hai Bhai aapki...

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  3. सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में


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    जवाब देंहटाएं
  4. मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
    मूझे चेहरे अनजाने याद आते है

    बहुत सुंदर पंक्तिया .. हमारे अपने तो हमारे दिलो में घर बना नहीं पाते पर रहो में चलते हुए कुछ पराये दिलो में अपनों से बढ़कर छाप छोड़ जाते हैं

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  5. मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
    मूझे चेहरे अनजाने याद आते है

    --Lovely..Can see lots of resemblance in your blog with mine..:-) Coincident..and that is Life..isn't it?

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  6. Is kavita ki har pankti aur har lafj muze kafi pasand aaya



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  7. आज ही में जी लेते लेकिन
    मूझे कल के फ़साने याद आते है

    दर्द उस वक़्त भी साहा था लेकिन
    उम्मीदों के तराने याद आते है
    वाह ! बहुत खूब

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