गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

फुर्सत

 कभी दिन गुजरते थे सालो में 
अब तो 
बरस दिनों में गुजरते है 
कभी फुर्सत में ख्वाब देखते थे
अब तो 
बस ख्वाबो में फुर्सत मिलती है 
ज़िन्दगी भी कितने रंग बदलती है ....

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ..सही है ज़िंदगी भी कितने रंग बदलती है

    जवाब देंहटाएं
  2. bade karib se jindagi ko jeete hoo...

    jai baba banaras............................

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी दिन गुजरते थे सालो में
    अब तो
    बरस दिनों में गुजरते है

    sundar rachna!! badhayi!!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर रचना
    पढ़ कर एक गाने की पंक्तियाँ याद आ गयीं
    "दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन"

    यूं ही पढ़ते पढ़ते आपके ब्लॉग को पढने का मौका मिला
    अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं