गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

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मैं आजकल कुछ ऐसे 
अपने सायों में छुपा रहता हूँ 
न किसी को दिखाई देता हूँ 
और न ही आवाज़ों में सुनायी देता हूँ 
कल तक जो उसकी यादें मुझे छोडती न थी 
वो अब गलियों में मेरा पता पूछती है 
और जो कभी मेरी आँखों में बसी रहती थी 
वो मुझे कभी facebook पे 
और कभी घंटो google पे मुझे ढूंढती है

सच में ज़माना बहुत बदल गया है ...

-तरुण 




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