meri kuch nazme,kuch ghazale, kuch geet aur kuch kavitayen
शुक्रवार, 26 जून 2009
एक बार
अपनी ज़िन्दगी को छोड़कर अपनी हर खुशी को छोड़कर जो बैठे है बस एक तेरा नाम लेकर एक बार उनकी तरफ़ भी आंखे उठाकर मुस्कुराकर देख लो देखना फिर न जाने कितनी आंखे जगमगाती है न जाने कितने चेहरे खिल जाते है और न जाने कितनी जिन्दगियाँ संवर जाती है
मुझे आपकी रचना बहुत पसंद आई
जवाब देंहटाएंpyara bhaw ............pyar se labrez
जवाब देंहटाएंaaj itne dino baad aapka post dekh kar bahut achha laga..
जवाब देंहटाएंwelcome back
Hi
जवाब देंहटाएंLong time... Nice to find some great stuff from you (like always).
The beauty is less words and nice meaning.
Keep writing!
Rgds,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com/
आपकी कविता अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया