एक अकेला पंछी ढूँढ रहा है घर का रास्ता
लौट गए है पंछी सारे
लौट गए है सब उसके साथी
कोई भी अब साथ नही है
रास्ता उसको याद नही है
पगला पगला घूम रहा है कोई नही उसे अपना लगता
लौट रही है शाम की लाली
लौट रहा है दिन का उजाला
हर तरफ वीराना है
रात से पहले घर जाना है
माँ की आँखे देख रही है कहाँ खोया है उसका चन्दा
-तरुण
bahut marmik,akele panchi ki gatha,touching.
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