रविवार, 3 फ़रवरी 2008

तनहा रात


चाँद को ढूंढे रात हमारी
अकेली है वो तनहा बेचारी
कहाँ छुपा है चाँद
न है अमावस
न उमड़कर आये है बादल
फिर न जाने क्यों दिखता नही है चाँद
अकेली है तन्हा हमारी रात
कहाँ छुपा है चाँद
तारे भी सारे टिम टिम चिडाए
झुरमुट बनाकर वो शोर मचाये
इस गली जाये उस गली जाये
फिर न जाने क्यों दिखता नही है चाँद
अकेली है तनहा हमारी रात

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