दिन भर नींद से लड़ता था
दिन भर पलको के दरवाज़े खोलकर
नींद को भगाता रहता था
फिर भी न जाने कहाँ से नींद आकर
उन दरवाजों को बंद कर जाती थी
और चुपके से एक झपकी लग जाती थी
रात भर नींद का इंतज़ार करता था
रात भर आंखो को बंद करके
नींद को क़ैद करने की कोशिश करता था
फिर भी न जाने कहाँ से
उन बंद दरवाजों को खोलकर
नींद आकाश में उड़ जाती थी
और वह रात भी मेरी बिना नींद के चली जाती थी
-tarun
दिन भर पलको के दरवाज़े खोलकर
नींद को भगाता रहता था
फिर भी न जाने कहाँ से नींद आकर
उन दरवाजों को बंद कर जाती थी
और चुपके से एक झपकी लग जाती थी
रात भर नींद का इंतज़ार करता था
रात भर आंखो को बंद करके
नींद को क़ैद करने की कोशिश करता था
फिर भी न जाने कहाँ से
उन बंद दरवाजों को खोलकर
नींद आकाश में उड़ जाती थी
और वह रात भी मेरी बिना नींद के चली जाती थी
-tarun
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