meri kuch nazme,kuch ghazale, kuch geet aur kuch kavitayen
wah wah wah,....lajabab..bhi...bahut bariya..
बहुत खूब ..सही है ज़िंदगी भी कितने रंग बदलती है
Tarun ji aapki kavita bahut achchhi hai. Aap isi trah likhte rahein
wah ....damdaar
bade karib se jindagi ko jeete hoo...jai baba banaras............................
बहुत बडा सच विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कभी दिन गुजरते थे सालो में अब तो बरस दिनों में गुजरते हैsundar rachna!! badhayi!!
बहुत सुन्दर रचना पढ़ कर एक गाने की पंक्तियाँ याद आ गयीं "दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन"यूं ही पढ़ते पढ़ते आपके ब्लॉग को पढने का मौका मिला अच्छा लगा
badhiya
wah wah wah,....lajabab..bhi...bahut bariya..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..सही है ज़िंदगी भी कितने रंग बदलती है
जवाब देंहटाएंTarun ji aapki kavita bahut achchhi hai. Aap isi trah likhte rahein
जवाब देंहटाएंwah ....damdaar
जवाब देंहटाएंbade karib se jindagi ko jeete hoo...
जवाब देंहटाएंjai baba banaras............................
बहुत बडा सच
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कभी दिन गुजरते थे सालो में
जवाब देंहटाएंअब तो
बरस दिनों में गुजरते है
sundar rachna!! badhayi!!
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंपढ़ कर एक गाने की पंक्तियाँ याद आ गयीं
"दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन"
यूं ही पढ़ते पढ़ते आपके ब्लॉग को पढने का मौका मिला
अच्छा लगा
badhiya
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