जुबाँ से मत देना नाम
इस रिश्ते को
ये पाक़ रिश्ता मैला हो जायेगा
जो अब तक
मैंने न कहा तुमको
और जो तुमने न कहा मुझको
वो सब होठो पे आ जायेगा
वो बेकरारी के लम्हे
वो उम्मीदों की घड़ियाँ
उन को एक मंजर मिल जायेगा
मत दो नाम कोई इस रिश्ते को
ये खुली किताब बन जायेगा
कुछ रिश्ते क्यूंकि बंद किताबो
में ही महफूज़ होते है
-तरुण
सुन्दर अहसास लिए अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंमौन भी बहुत कुछ कहता है !
जवाब देंहटाएंSACH KAI RISHTEY AISE HOTE HAI JO BENAM HI ACHHE HOTE HAI.....
जवाब देंहटाएंTarun ji Bahut achha
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते बेनाम ही अच्छे होते हैं
जवाब देंहटाएंउन्हें बेनाम ही रहने दीजिये :)