जब छोटा था तो
माँ से अक्सर एक ही सवाल पूछता था
मैं कब पापा जितना बड़ा होऊंगा
माँ हंसकर उस बात को टाल जाती थी
फिर जब भी वक़्त मिलता था
तो आईने के सामने
खड़े होकर मैं बड़े होने की
practice भी करता था
अब जब बड़ा हो गया हूँ तो
वापिस उस बचपन को ढूढ़ता हूँ
और अक्सर अपनी उम्र
भूलने की कोशिश भी करता हूँ
लेकिन जब जब भी
आईने के सामने आता हूँ
मेरे सिर के काले बालो
से निकलकर कुछ सफ़ेद
मेरी तरफ देखकर मुझे
मेरी उम्र मुझे बता जाते है ....
-तरुण
अब जब बड़ा हो गया हूँ तो
जवाब देंहटाएंवापिस उस बचपन को ढूढ़ता हूँ ! बहुत ही बढ़िया लिखा आपने.. लिखते रहिये .... www.anilavtaar.blogspot.com
बहुत ही बढ़िया तरुण विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जवाब देंहटाएंhi tarun ,
जवाब देंहटाएंacha likhte he aap. aksar chizo ki kdra tab hote he jab vo guzar jaati he.
udaan
apne kale balon ke beech dikhe safed balon ko gaur se dekhiye. unhi me aapko kuchh sunahre reshe bhi dhikhenge, jo ek din aapki umra, aapka bachpan fir aapko lautayenge.
जवाब देंहटाएंbahut achchha laga . aap men ab bhi bachpan hai.dhoondh kar dekhiye.kavi mun sada bachcha hi rahta hai.
जवाब देंहटाएंi like the wording of the peom it was a good word keep it up
जवाब देंहटाएंये होता ही है
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