मिलता नही है जाम चलो तेरे नाम से पी ले
रात है बहुत दूर तो चलो अब शाम से पी ले
साकी नही है कोई आज न मयखाना है मेरा
शराब मिले कभी तो कभी ख्याल-ऐ-जाम से पी ले
बाज़ार में है तो क्या ज़रूरी कोई खरीदार भी मिले
मिलता है कभी दाम तो कभी बेदाम से पी ले
उसका है शहर में नाम तो तेरा भी क्यूँ न हो
शोहरत मिले कभी तो कभी बदनाम से पी ले
खुदा के लिए छोड़ी कभी खुदा ने पिलाई तुझे
हर बोतल में है भगवान् तो कभी राम से पी ले
कितना चलेगा तू इन राहो की न कोई मंजिल
बैठ कुछ पल को कही आज और आराम से पी ले
-तरुण
वाह--बहुत खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंu write really well tarun ....
जवाब देंहटाएंहर बोतल में है भगवान् तो कभी राम से पि ले ....क्या खूब लिखा है तरुण जी आपकी रचना ने वाकी मन मोह लिया है लिखते रहें
जवाब देंहटाएंधन्यवाद