इक तेरा ग़म सह सहकर हम कल रात भर रोते रहे
आँखों की तरह शब को भी हम अश्को में डुबोते रहे
तेरा जाना हमे मंज़ूर था तेरा जाना हम पी भी गए
तेरी यादों का पर जो सुरूर है उसमे बस हम खोते रहे
वादा किया भूल गए तुम ख्वाब में भी न हमसे मिले
तेरे इक ख्वाब की उम्मीद में हम कितने दिन सोते रहे
इक तेरा रिश्ता था बहुत ये दुनिया कब हमे मंजूर थी
तुम ही कहो क्यूँ अब तेरे बिन सब मेरे अपने होते रहे
क्या कहूँ कैसे कहूँ मेरे लफ्ज़ तो जैसे सब बुझ गए
तेरी आवाजो को लेकिन हम इन सांसो में पिरोते रहे
इक तेरा ग़म सह सहकर हम कल रात भर रोते रहे ...
-तरुण
आँखों की तरह शब को भी हम अश्को में डुबोते रहे
तेरा जाना हमे मंज़ूर था तेरा जाना हम पी भी गए
तेरी यादों का पर जो सुरूर है उसमे बस हम खोते रहे
वादा किया भूल गए तुम ख्वाब में भी न हमसे मिले
तेरे इक ख्वाब की उम्मीद में हम कितने दिन सोते रहे
इक तेरा रिश्ता था बहुत ये दुनिया कब हमे मंजूर थी
तुम ही कहो क्यूँ अब तेरे बिन सब मेरे अपने होते रहे
क्या कहूँ कैसे कहूँ मेरे लफ्ज़ तो जैसे सब बुझ गए
तेरी आवाजो को लेकिन हम इन सांसो में पिरोते रहे
इक तेरा ग़म सह सहकर हम कल रात भर रोते रहे ...
-तरुण
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति दी है |
जवाब देंहटाएंआप अपने इस फन में महारथ हासिल करें , मेरी शुभकामनाएं हैं |
वाह वाह बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबढ़िया है.
जवाब देंहटाएंगजब लिखा है।
जवाब देंहटाएंवाह ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
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