Tarun's World
meri kuch nazme,kuch ghazale, kuch geet aur kuch kavitayen
रविवार, 14 सितंबर 2008
साया
दिन भर की कशमकश से
थककर जब भी
आ बैठता हूँ तेरे पहलू के साए में कुछ पल
तो यूँ लगता है जैसे
एक तपते हुए दिन को
शाम का ठंडा साया मिल गया जैसे
-तरुण
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