Tarun's World
meri kuch nazme,kuch ghazale, kuch geet aur kuch kavitayen
सोमवार, 15 सितंबर 2008
फासला
बहुत देर तक चला था मैं
लेकिन
इतनी दूर भी नही गया था
कि तुम आवाज़ दो
और मैं लौट न सकूँ
-तरुण
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