रविवार, 20 अप्रैल 2008

ऐ रात तू ही बता दे

ऐ रात तू ही बता दे , कहाँ छुपा है मेरा चाँद
बरसों हुए आँख मिलाये, बरसों से नही देखा चाँद

जाए तू शहर शहर , गुज़रे तू हर राह से
तुमने तो देखा होगा, किस गली में निकला है मेरा चाँद

चाँद के बिना मैं आधा हूँ , जैसे काली रात अमावस
संदेसा तू दे दे उसको , मुझसे मिला दे मेरा चाँद

हर रात फलक के चाँद से पूछो, जाने क्यों वो भी न बताये
उसने तो देखा होगा , जब खिड़की में निकला होगा मेरा चाँद

-तरुण

3 टिप्‍पणियां:

  1. usne to dekha hoga jab khidki se nikla hoga mera chand,wah ji wah bahut khub,sundar

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  3. ऐ रात तू ही बता दे , कहाँ छुपा है मेरा चाँद
    बरसों हुए आँख मिलाये, बरसों से नही देखा चाँद


    Bahut sunder.

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