Tarun's World
meri kuch nazme,kuch ghazale, kuch geet aur kuch kavitayen
सोमवार, 7 अप्रैल 2008
विदा
फिर ऐसे ही
किसी एक मोड़ पे
आंखो में
कुछ ख्वाब छुपाये
चेहरे पे
एक मुस्कान सजाये
हाथो को
तुम्हारी तरफ़ उठाये
मैं तुम्हे
फिर मिलूंगा
1 टिप्पणी:
बेनामी
8 अप्रैल 2008 को 12:34 am बजे
positivity nice one.
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positivity nice one.
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