शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2007

nav varsh

जब क्शीतीज पे सूरज कल नया सवेरा लाएगा
जब लंबी सर्द रात पे सुबह का आँचल छायेगा

जब धरती पे प्यार के फूलों का मौसम छायेगा
जब में आकाश में आजादी से हर पंछी गायेगा

जब कही कोई गोली कीसी का खून बहाएगी
जब कोई सीमा कही कोई बन्धन लगायेगी

जब कोई मह्ज़ब प्यार के बीच में आएगा
जब भगवान् हमे कोई धर्म सीखायेगा

जब सब मिलकर एक नए दुनीयाँ बनायेंगे
तब हर सुबह हर दीन हम नया वर्ष मनायेंगे ...

--tarun

(written on 31/12/2003 at Antwerp, Belgium)

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