जब क्शीतीज पे सूरज कल नया सवेरा लाएगा
जब लंबी सर्द रात पे सुबह का आँचल छायेगा
जब धरती पे प्यार के फूलों का मौसम छायेगा
जब में आकाश में आजादी से हर पंछी गायेगा
जब कही कोई गोली कीसी का खून न बहाएगी
जब कोई सीमा कही कोई बन्धन न लगायेगी
जब कोई मह्ज़ब न प्यार के बीच में आएगा
जब भगवान् न हमे कोई धर्म सीखायेगा
जब सब मिलकर एक नए दुनीयाँ बनायेंगे
तब हर सुबह हर दीन हम नया वर्ष मनायेंगे ...
--tarun
(written on 31/12/2003 at Antwerp, Belgium)
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