ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती
मूझे जीने कि सूरत नहीं मिलती
कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता
मूझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती
तू ज़माने कि भीड़ में चल न कभी
ऐसे जीने से इज्ज़त नहीं मिलती
बचपन में जवानी कि दुआ न करना
फिर ऐसे जीने कि फुर्सत नहीं मिलती
जब तू ही कभी किसी का न हुआ
क्यूँ अकेले जीने की हिम्मत नहीं मिलती
तरुण
Maza aa gaya Tarun Bhai...
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बहोत खूब.
जवाब देंहटाएंमनमंदिर के रास्ते सुकून नहीं मिलता
स्थान जहा बनाया मुकाम नहीं मिलता
शरद्धा और विष्वासको ना घर मिल पाय
मूरतको दिया नाम, दर्शन नहीं मिलता
कैसी करू भक्ति की दर्शन मिल पाय
मैं पत्थर मूरत उनके ह्रदय में समाय
उनकी नजरका नूर है कितना उज्ज्वल
कास उन नजर में बसेरा मिल जाय .........जनक देसाई
bahut badhiya.
जवाब देंहटाएंख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई, सादर वन्दे,,,,,,,,,
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very nice tarun ji.
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जवाब देंहटाएंजब तू ही कभी किसी का न हुआ
क्यूँ अकेले जीने की हिम्मत नहीं मिलती
very nice lines
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बचपन में जवानी कि दुआ न करना
जवाब देंहटाएंफिर ऐसे जीने कि फुर्सत नहीं मिलती
जब तू ही कभी किसी का न हुआ
क्यूँ अकेले जीने की हिम्मत नहीं मिलती
क्या बात है !