मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है
ज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है
यूँ तो अकेला ही तो जिया था मैं
फिर भी साथी पुराने याद आते है
आज ही में जी लेते लेकिन
मूझे कल के फ़साने याद आते है
दर्द उस वक़्त भी साहा था लेकिन
उम्मीदों के तराने याद आते है
मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
मूझे चेहरे अनजाने याद आते है
-तरुण
मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है
mujhe bhi.....
मूझे वो गुज़रे ज़माने याद आते है
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के दिन सुहाने याद आते है... Bahut hi Sundar Rachna hai Bhai aapki...
aapki likhi kawitaaen padkar bahut achchhaa lagaa badhaai ho
जवाब देंहटाएंaccha laga pad kar aap ki dil ki likhai ko..........
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में
जवाब देंहटाएंhttp://madan-saxena.blogspot.in/
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मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
जवाब देंहटाएंमूझे चेहरे अनजाने याद आते है
बहुत सुंदर पंक्तिया .. हमारे अपने तो हमारे दिलो में घर बना नहीं पाते पर रहो में चलते हुए कुछ पराये दिलो में अपनों से बढ़कर छाप छोड़ जाते हैं
मेरे अपने तो मूझे याद नहीं लेकिन
जवाब देंहटाएंमूझे चेहरे अनजाने याद आते है
--Lovely..Can see lots of resemblance in your blog with mine..:-) Coincident..and that is Life..isn't it?
nice creation.
जवाब देंहटाएंantim pd ne atyant prbhavit kiya..
जवाब देंहटाएंIs kavita ki har pankti aur har lafj muze kafi pasand aaya
जवाब देंहटाएंsend free unlimited sms anywhere in India no registration and no log in
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आज ही में जी लेते लेकिन
जवाब देंहटाएंमूझे कल के फ़साने याद आते है
दर्द उस वक़्त भी साहा था लेकिन
उम्मीदों के तराने याद आते है
वाह ! बहुत खूब