मैं आजकल कुछ ऐसे
अपने सायों में छुपा रहता हूँ
न किसी को दिखाई देता हूँ
और न ही आवाज़ों में सुनायी देता हूँ
कल तक जो उसकी यादें मुझे छोडती न थी
वो अब गलियों में मेरा पता पूछती है
और जो कभी मेरी आँखों में बसी रहती थी
वो मुझे कभी facebook पे
और कभी घंटो google पे मुझे ढूंढती है
सच में ज़माना बहुत बदल गया है ...
-तरुण
लाजवाब
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंvery good ayurveda
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