बस तेरा नाम मेरा नसीब है
तू ना जाने किसके करीब है
मेरा दिल ही मेरा खुदा रहा
मेरा खुदा ये कितना अजीब है
मुझे मौत से कोई गिला नहीं
मेरी ज़िन्दगी मेरी रकीब है
मेरी जान बुझती रही मगर
तेरी याद दिल के करीब है
कोई मुझे भी ढूंढता है कहीं
कोई मेरा भी तो हबीब है
-तरुण
तरूण जी,
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार, सबसे बड़ी बात यह कि जब खुदा दिल है तो किसी खुदा की जरूरत नहीं।
हर शेर लाजबाब...दूर रहकर भी अपने देश के करीब है।
छोटे लेकिन दमदार शेर
जवाब देंहटाएंwah...kya baat hai...
जवाब देंहटाएंamerica me rah kar bhi,
koyi apni bhasha ke kareeb hai.
ye dard jo aap mahsoos rahe,
wo dard mujhe bhi azeez hai.
बहुत सुंदर रचना .. बाधाई
जवाब देंहटाएंआज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ आकर बहुत अच्छा लगा .
कभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी आप अपने एक नज़र डालें . धन्यवाद् .
bahut sunder ....
जवाब देंहटाएंjai baba banaras...
तरूण जी आप की कविता दिल की गहराई को छूने में कामयाब हुई।
जवाब देंहटाएंमै आप से दोस्ती करना चाहता हॅू। क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगे? आप चाहे तो अपनी कविताऍ मुझे मेल कर सकते है।
shailendraa123singh@gmail.com
nice of poet
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