बस तेरा नाम मेरा नसीब है
तू ना जाने किसके करीब है
मेरा दिल ही मेरा खुदा रहा
मेरा खुदा ये कितना अजीब है
मुझे मौत से कोई गिला नहीं
मेरी ज़िन्दगी मेरी रकीब है
मेरी जान बुझती रही मगर
तेरी याद दिल के करीब है
कोई मुझे भी ढूंढता है कहीं
कोई मेरा भी तो हबीब है
-तरुण