दिन की हर शोख़ को ढलना होगा
फिर रात के साये में जलना होगा
ओ फूलों की सेज पे जीने वालो
एक दिन कांटो पे भी चलना होगा
मैं तेरे करीब आ तो जाऊं लेकिन
फिर तेरी जुदाई में मुझे जलना होगा
तुम मेरी कसम खा के इतना बता दो
तुझे पाने के लिए क्या ख़ुद को बदलना होगा
आज कोई मुझे आवाज़ न दे तो क्या
मेरी मजार से एक दिन सबको गुज़रना होगा
-तरुण
फिर रात के साये में जलना होगा
ओ फूलों की सेज पे जीने वालो
एक दिन कांटो पे भी चलना होगा
मैं तेरे करीब आ तो जाऊं लेकिन
फिर तेरी जुदाई में मुझे जलना होगा
तुम मेरी कसम खा के इतना बता दो
तुझे पाने के लिए क्या ख़ुद को बदलना होगा
आज कोई मुझे आवाज़ न दे तो क्या
मेरी मजार से एक दिन सबको गुज़रना होगा
-तरुण
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