जिस्म तो फिर भी छोटा था
मगर दिल उसका बहुत बड़ा था
आखिर बचपन से मुश्किलों से तो
लड़ता आया था वो
लेकिन एक दिन वो टूट गया
वो जो fighter कि तरह जीता था
वो हार गया
और अब तो ये हाल है उसका
कि अपने ही सायो के पीछे
छुपा रहता है वो ...
ज़िन्दगी शायद बहुत बड़ी होती है
और ये ज़रूरी तो नहीं कि
fighter हमेशा जीतता है
-तरुण
bahut sundar likha hai apne..........badhia
जवाब देंहटाएंयही जीवन है.... ऐसा भी होता है अक्सर ..... जीत हमेशा नहीं मिलती.... कम शब्दों में अच्छा लिखा .....
जवाब देंहटाएंnice blog...intelligent posts buddy
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बहुत सुन्दर चित्रण ,जिन्दगी की सच्चाइ भी यही तो है.........
जवाब देंहटाएंआपकी पहले पेज की लगभग सभी रचनायें पढ़ीं. विचार बहुत अच्छे लगे लेकिन अस्रीयात ऐ गैर गैरमामूली रूप से रुनुमा होता है. राय देना शायद हिमाकत हो क्यूंकि मैं कोई अदीब या मुसन्निफ़ नहीं लेकिन हीरा अगर गैर की चमक से चमके तो अच्छा नहीं लगता.
जवाब देंहटाएंखैर अंदेश
वरुण गगनेजा
gud job... badhaai.
जवाब देंहटाएंतरुण जी काफी बेहतरीन कविताओं का संसार आपने सजाया है....
जवाब देंहटाएंफाइटर तो हमेशा ही जीतता है ..बस लोग जीत का अर्थ ही कुछ और समझ लेते हैं
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