meri kuch nazme,kuch ghazale, kuch geet aur kuch kavitayen
शुक्रवार, 21 मई 2010
तेरा ख़त
एक वो भी दिन था
जब तेरे ख़त के आने कि
खबर से ही महक उठते थे
दिन रात मेरे
और एक यह दिन है
तेरा ख़त सामने मेज़ पे पड़ा है
और उसे खोलकर पड़ने की हिम्मत नहीं होती ...
बहुत शानदार!
जवाब देंहटाएंbhavna se bhari kavita..... padh ke abhut achcha laga.....aise hi likhte rahiye...
जवाब देंहटाएंBahut khoob
जवाब देंहटाएंsadhaaran shabdon me asaadharan kavita.........good luck
जवाब देंहटाएंu write really well..
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat tarun ji ! dil ko chooti hui............
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